पूर्णचंद्र रस क्या है? Purnachandra Ras kya hai?
पूर्णचंद्र रस एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से पुरुषों के गुप्त रोगों से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयोग की जाती है । इस औषधि का सेवन करने से पुरुषों की वीर्य संबंधी समस्याएं जैसे स्वपनदोष, शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, नपुंसकता एवं मूत्र संस्थान से संबंधित समस्याओं में बहुत ही अच्छा लाभ मिलता है । ऐसा नहीं है कि यह औषधि केवल पुरुषों के द्वारा ही प्रयोग की जाती है । इस औषधि को महिलाओं के द्वारा भी सेवन किया जा सकता है ।
यदि हम पूर्णचंद्र रस के घटक द्रव्य की बात करें तो इस औषधि में शुद्ध पारा एवं शुभ गंधक के अतिरिक्त लौह भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म, रजत भस्म, बंग भस्म सहित कुछ अन्य जड़ी बूटियां जैसे लॉन्ग, इलायची, दालचीनी, जीरा इत्यादि मौजूद होती हैं ।
यह औषधि वीर्य वर्धक एवं शक्ति वर्धक टॉनिक है जिसे हम रसायन की संज्ञा भी दे सकते हैं, क्योंकि यह औषधि सप्त धातुओं को पुष्ट करती है । इस औषधि का सेवन करने से पाचन तंत्र से संबंधित समस्या दूर होती हैं, हृदय को बल मिलता है एवं डायबिटीज जैसी समस्या में लाभ मिलता है ।
पूर्णचंद्र रस औषधि दो प्रकार की होती है, पूर्णचंद्र रस साधारण एवं पूर्णचंद्र रस स्वर्ण युक्त । पूर्णचंद्र रस स्वर्ण युक्त को तब प्रयोग किया जाता है जब रोग पुराना हो जाए तथा साधारण दवाइयों से अच्छा लाभ ना मिल पा रहा हो ।
पूर्णचंद्र रस स्वर्ण युक्त का सेवन करने से शीघ्रपतन की समस्या में बहुत अच्छा लाभ मिलता है, साथ ही यह ह्रदय रोगों एवं डायबिटीज में भी बहुत अच्छा लाभ पहुंचाती हैं ।
पूर्णचंद्र रस के घटक द्रव्य Purnachandra Ras ke ghatak dravy
- शुद्ध पारा – 10 ग्राम
- शुद्ध गन्धक – 10 ग्राम
- लोह भस्म – 20 ग्राम
- अभ्रक भस्म – 20 ग्राम
- चांदी भस्म – 10 ग्राम
- बंग भस्म – 10 ग्राम
- सुवर्ण भस्म – 5 ग्राम
- ताम्र भस्म – 5 ग्राम
- कांस्य भस्म – 5 ग्राम
- जायफल – 5 ग्राम
- लौंग – 5 ग्राम
- इलायची के दाने – 5 ग्राम
- जीरा – 5 ग्राम
- दालचीनी – 5 ग्राम
- कपूर – 5 ग्राम
- फूल प्रियंगु – 5 ग्राम
- नागर मोथा – 5 ग्राम
पूर्णचंद्र रस को बनाने की विधि Purnachandra Ras kaise banaye
पूर्णचंद्र रस को बनाने के लिए सबसे पहले आप शुद्ध पारा एवं शुद्ध गंधक की कज्जली बना लीजिए । कज्जली बनाने के लिए आप इन दोनों रसायन को पत्थर की खरल में डालकर खूब अच्छी तरह रगड़े, ताकि इन दोनों का रंग काजल की तरह काला हो जाए तथा पारा एवं गंधक की चमक बिल्कुल खत्म हो जाए । इसे ही कज्जली कहा जाता है ।
इसके पश्चात बाकी सभी भस्म डालकर दोबारा घुटाई कीजिए । जायफल, लौंग, इलायची आदि जितनी भी शेष जड़ी बूटियां हैं उन सब को कूट पीसकर एवं छानकर इस मिश्रण में मिलाकर खूब अच्छी तरह घुटाई कीजिए । अंत में ग्वारपाठा, त्रिफला एवं एरांडमूल, इन तीनों की अलग-अलग 1-1 भावना देकर खरल में घुटाई कीजिए तथा छाया में सुखाकर 1-1 रत्ती की गोली बना लीजिए । इसे ही पूर्णचंद्र रस कहा जाता है ।
पूर्णचंद्र रस के चिकित्सकिय उपयोग Purnachandra Ras ke upyog in hindi
पूर्णचंद्र रस को निम्न समस्याओं में सफलतापूर्वक प्रयोग किया जाता है ।
- स्वपनदोष
- शीघ्रपतन
- वीर्य का पतलापन
- नपुंसकता
- ह्रदय रोग
- डायबिटीज
- दमा श्वास
- नजला जुकाम
- पाचन तंत्र के रोग
पूर्णचंद्र रस के फायदे Purnachandra Ras ke fayde in hindi
पूर्णचंद्र रस एक ऐसा आयुर्वेदिक रसायन है जिसका प्रयोग अनेकों रोगों के को दूर करने के लिए किया जाता है । यहां हम आपको इस औषधि के प्रमुख प्रमुख फायदों के बारे में बता रहे हैं । इसके अलावा भी इस औषधि के बहुत से फायदे हो सकते हैं ।
पुरुषों की वीर्य संबंधी समस्याओं में लाभकारी पूर्णचंद्र रस
पूर्णचंद्र रस का सेवन करने से पुरुषों के वीर्य संबंधी समस्याएं जैसे स्वपनदोष, शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन एवं नपुंसकता जैसी समस्या में बहुत अच्छा लाभ मिलता है ।
बचपन की गलतियों के कारण या अप्राकृतिक मैथुन के कारण किसी व्यक्ति की सेक्स करने की क्षमता बिल्कुल ही खत्म हो गई हो तथा इंद्री बिल्कुल ढीली एवं पोली हो गई हो, तो ऐसी स्थिति में पूर्णचंद्र रस का सेवन करने से व्यक्ति में नया जोश एवं उमंग आती है तथा व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है ।
पूर्णचंद्र रस के साथ सहायक औषधियों के रूप में वसंत कुसुमाकर रस, मन्मथ रस एवं पुष्पधन्वा रस का सेवन भी कराया जा सकता है । यदि लिंग ढीला हो गया हो तथा लिंग में तनाव भी कम आता हो तो हमदर्द कंपनी का तीला डायनामोल का इस्तेमाल किया जा सकता है ।
शुक्राणुओं की वृद्धि में लाभकारी पूर्णचंद्र रस
कुछ लोगों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) बहुत ही कम होता है, जिससे ऐसे व्यक्ति संतानोत्पत्ति नहीं कर पाते हैं । इसे भी एक प्रकार की नपुंसकता ही कहा जा सकता है । यदि इस रोग का सही समय पर इलाज न किया जाए तो वैवाहिक जीवन में दरार भी आ सकती है ।
पूर्णचंद्र रस एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि हैं जो वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या एवं उनकी क्वालिटी को सही करती हैं । शुक्राणुओं की वृद्धि के लिए सहायक औषधि के रूप में मन्मथ रस एवं पुष्पधन्वा रस का सेवन भी कराया जा सकता है ।
मूत्र संक्रमण में लाभकारी पूर्णचंद्र रस
इस औषधि का सेवन करने से मूत्र संस्थान के संक्रमण जैसे पेशाब का बार बार आना, पेशाब का रुक रुक कर आना या पेशाब करने की इच्छा तो होना लेकिन पेशाब का बिल्कुल ना आना, या बहुत थोड़ा आना, पेशाब में जलन होना इत्यादि समस्याओं में पूर्णचंद्र रस बहुत अच्छा लाभ पहुंचाती है ।
इन सभी समस्याओं में पूर्णचंद्र रस के साथ सहायक औषधियों के रूप में वसंत कुसुमाकर रस एवं चंद्रप्रभा वटी का सेवन कराने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है ।
हृदय बलवर्धक पूर्णचंद्र रस
पूर्णचंद्र रस वृहत अथवा स्वर्ण युक्त ह्रदय को बल प्रदान करने के लिए बहुत ही उत्तम औषधि है । यह औषधि हृदय की धमनियों को ताकत प्रदान करती है, जिससे हृदय सुचारू रूप से कार्य करता है । हृदय रोग में सहायक औषधि के रूप में वसंत कुसुमाकर रस का सेवन भी कराया जा सकता है ।
श्वसन रोगों में लाभकारी पूर्णचंद्र रस
पूर्णचंद्र रस में लॉन्ग, इलायची, जायफल, दालचीनी, कपूर एवं नागर मोथा जैसी जड़ी बूटियों मौजूद होती हैं । इन सभी जड़ी बूटियों की तासीर गर्म होती है तथा यह जड़ी बूटियां कफ नाशक होती हैं । इसलिए पूर्णचंद्र रस श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं जैसे फेफड़ों में बलगम का जमा होना, खांसी, नजला जुकाम आदि समस्याओं में भी अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाती है ।
पाचन तंत्र के लिए लाभदायक पूर्णचंद्र रस
पूर्णचंद्र रस पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं जैसे अजीर्ण, अग्निमांद्य, संग्रहणी, आमवात एवं अम्लपित्त (एसिडिटी) की समस्याओं में लाभ पहुंचाती है । इन सभी समस्याओं में इस औषधि के साथ अग्निकुमार रस एवं हिंगवादि वटी का सेवन करवाया जा सकता है ।
मात्रा एवं सेवन विधि
पूर्णचंद्र रस की एक एक गोली सुबह शाम मक्खन, मलाई या शहद के साथ चाटकर ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध का सेवन करें या अपने चिकित्सक से संपर्क करें ।
सावधानियां एवं दुष्परिणाम
निर्धारित मात्रा में एवं चिकित्सक की सलाह के अनुसार सेवन करने पर इस औषधि का कोई दुष्परिणाम नहीं होता है । इस औषधि को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए ।