अविपत्तिकर चूर्ण क्या है? Avipattikar Churna kya hai?
अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो प्राकृतिक जड़ी-बूटियों जैसे त्रिकटु, त्रिफला, विडंग, छोटी इलायची, तेजपत्ता, लॉन्ग, विडनमक इत्यादि से बनाई जाती है । यह औषधि मुख्य रूप से अम्लपित्त नाशक होती है एवं अम्लपित्त से होने वाली अन्य समस्याओं जैसे पेट एवं छाती में जलन होना, अल्सर तथा पाचन तंत्र से जुड़ी हुई अन्य समस्याओं में लाभ पहुंचाती है ।
अभी पिता चूर्ण आयुर्वेद की एक सुप्रसिद्ध औषधि है जिसे अम्ल पित्त रोगों में मुख्य औषधि के रूप से उपयोग किया जाता है । इस औषधि को भैषज्य रत्नावली के अम्लपित्त रोग अधिकार से लिया गया है । आज के समय में लोगों का खान-पान एवं रहन सहन बहुत ज्यादा खराब हो गया है ।
जो लोग बहुत ज्यादा तली भुनी एवं चटपटी चीजें रोज ही खाते हैं तथा अपने भोजन में चाट पकौड़ी, समोसे, छोले भटूरे, बर्गर, चाऊमीन, टिक्की इत्यादि बहुत ज्यादा खाना पसंद करते हैं, उनका अम्लपित्त बढ़ जाता है । जिस कारण उनकी छाती में जलन रहती है तथा मुंह से खट्टी डकार आती हैं । यह अम्ल पित्त के बढ़ने के कारण होता है ।
यदि अम्ल पित्त बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो भोजन नलीका एवं पेट में जख्म हो जाते हैं जिसे अल्सर कहा जाता है । यह बहुत ही भयंकर बीमारी होती है । इसलिए यह बीमारी पैदा ही ना हो इसके लिए अपने भोजन में ज्यादा तली भुनी चीजें का सेवन कम से कम करना चाहिए, पानी खूब पीना चाहिए तथा भोजन में अंकुरित अनाज, फलों एवं दूध का सेवन खूब करना चाहिए ।
लेकिन यदि किसी भी कारण से अम्लपित्त बहुत ज्यादा बढ़ गया हो जिससे ऊपर बताए गए दोष पैदा हो गए हो तो ऐसी स्थिति में अभी पित्त कर चूर्ण का प्रयोग करने से यह सभी दोष नष्ट हो जाते हैं तथा रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है ।
अविपत्तिकर चूर्ण के घटक द्रव्य Avipattikar Churna ke ghatak dravy
- सोंठ Shunthi Zingiber officinale Rz. 1 part
- काली मिर्च Maricha Piper nigrum Fr. 1 part
- पिप्पली Pippali Piper longum Fr. 1 part
- हरीतकी Haritaki Terminalia chebula P. 1 part
- विभितकी Bibhitaka Terminalia bellirica P. 1 part
- आमलकी Amalaki Phyllanthus emblica P. 1 part (Emblica offcinalis)
- मोथा Musta Cyperus rotundus Rz. 1 part
- विड लवण Vida lavana 1 part
- विडंग Vidanga Embelia ribes Fr. 1 part
- एला Ela (Sukshmaila API) Eletteria cardamomum Sd. 1 part
- तेज पत्र Patra (Tejapatra API) Cinnamomum tamala Lf. 1 part
- लौंग Lavanga Syzygium aromaticum Fl. Bd. 11 parts
- त्रिवृत Trivrit Ipomoea turpethum Rt. 44 parts
- शर्करा Sharkara Cane sugar – 66 parts
अविपत्तिकर चूर्ण को बनाने की विधि Avipattikar Churna banane ki vidhi
अविपत्तिकर चूर्ण को बनाने की विधि बहुत ही सरल है तथा आप इस औषधि को घर पर भी बना सकते हैं । इसके लिए सबसे पहले आप पंसारी से ऊपर दी गई सभी जड़ी बूटियों को ले आइए । इसके पश्चात इन सबको अच्छी तरह साफ करके धूप में सुखा लें और कूट पीसकर कपड़ छन कर किसी कांच के या प्लास्टिक के जार में भरकर रख लें ।
इसमें नौसादर भी मिलाया जाता है लेकिन इसके मात्रा बहुत कम होती है । 1200 ग्राम चूर्ण में मात्र 10 ग्राम नौसादर ही मिलाई जाती है । नौसादर को विडनमक भी कहा जाता है । यह वातनाड़ियों पर अपना सकारात्मक प्रभाव डालती है ।
अविपत्तिकर चूर्ण के चिकित्सा उपयोग Avipattikar Churna uses in hindi
अभी पित्त कर चूर्ण को निम्न रोगों में सफलतापूर्वक प्रयोग किया जाता है ।
- अम्ल पित्त
- पेशाब में जलन
- पेट में अल्सर
- कब्ज
- पेशाब में जलन होना
- प्रमेह रोग
- बवासीर
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे Avipattikar Churna ke fayde
अम्ल पित्त में लाभदायक अविपत्तिकर चूर्ण
यह चूर्ण अम्ल पित्त में बहुत ही अधिक लाभदायक होता है । अम्ल पित्त बढ़ जाने पर रोगी की छाती में जलन रहती है और रोगी को खट्टी उल्टी भी आती है । रोगी की छाती जलती है एवं गले में जलन होती है । उल्टी करते समय रोगी की आंखों में पानी आ जाता है ।
यदि यही स्थिति बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो आमाशय में अम्लपित्त बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिससे रोगी जब सोकर उठता है तो उठते समय भी उसे खट्टी खट्टी डकार आती हैं । ऐसी स्थिति में इस चूर्ण को ताजे पानी या नारियल के जल के साथ सेवन कराने से तुरंत लाभ मिल जाता है ।
पित्त नाशक अविपत्तिकर चूर्ण
जैसा कि इस औषधि के नाम से ही पता चलता है कि यह औषधि पित्त नाशक है । इस औषधि को भोजन के पहले एवं भोजन के पश्चात भी सेवन किया जाता है । पित्त की अधिकता होने पर इस औषधि को घी या शहद के साथ देने से पित्त नष्ट हो जाता है ।
वात नाड़ियों के शुद्धिकरण में लाभदायक अविपत्तिकर चूर्ण
यदि अम्ल पित्त बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो ऐसी स्थिति में आमाशय का अम्लपित्त रक्त में पहुंच जाता है जिसका प्रभाव वात नाड़ियों पर पड़ता है । रोगी की वातनाड़ियों में खिंचाव पैदा हो जाता है एवं शरीर में दर्द बना रहता है । इसलिए नौसादर युक्त अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करने से वात नाड़ियों की शुद्धि होती है एवं यह सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं ।
मंदाग्नि नाशक अविपत्तिकर चूर्ण
अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है भूख बढ़ती है एवं पाचन तंत्र की अन्य समस्याएं जैसे अपच, भूख ना लगना, अरुचि, अग्निमांद्य उदर शूल इत्यादि में लाभ मिलता है ।
मूत्र संक्रमण एवं किडनी रोगों में लाभकारी अविपत्तिकर चूर्ण
यह चूर्ण मूत्र संक्रमण जैसे पेशाब का बार बार आना, पेशाब में जलन होना एवं किडनी के रोगों में भी फायदा पहुंचाती है ।
अल्सर में लाभदायक अविपत्तिकर चूर्ण
यदि अम्लपित्त बहुत ज्यादा बढ़ जाए एवं लंबे समय तक रोगी इसका इलाज ना कराएं तो रोगी की आहार नाल एवं पेट में जख्म हो जाते हैं । जिससे रोगी को भयंकर पीड़ा होती है, छाती में बहुत ज्यादा जलन होती है एवं थोड़ा सा खाने पर ही खट्टी डकारे आती हैं।। इस स्थिति में अविपत्तिकर चूर्ण बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होता है ।
इसके अतिरिक्त यह औषधि शरीर में बने हुए एसिड को कम करती है एवं एसिड के कारण होने वाले छोटे बड़े रोगों को भी दूर करती है ।
सेवन विधि एवं मात्रा Dosage & Directions
- ३-६ ग्राम की मात्रा में, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे शहद/ दूध/ गर्म पानी/सोंठ के साथ लें।
- इसे भोजन करने के पहले लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
- इसमें चीनी है इसलिए मधुमेह में इसका सेवन न करें।
सावधानियां एवं दुष्प्रभाव Precautions & Side Effects
सामान्यतः इस औषधि का कोई दुष्प्रभाव नहीं है । इस औषधि को आप अपने चिकित्सक की देखरेख में उचित मात्रा में ही सेवन करें ।
कहाँ से खरीदें? Where to buy?
This medicine is manufactured by Baidyanath (Avipaatikar Churna), Dabur (Avipattikar Churna), Zandu (Zandu Avipattikar Churna), Patanjali Divya Pharmacy (Divya Avipattikar Churna), Sri Sri Ayurveda (Avipattikara Churna), and many other Ayurvedic pharmacies.