वंग भस्म के फायदे और नुक्सान Vanga (Bang) Bhasma ke fayde or nuksaan

वंग भस्म क्या है? Vanga (Bang) Bhasma kya hai?

वंग भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है जो टिन बनाई जाती है । यह औषधि मुख्य रूप से पुरुषों के वीर्य संबंधी रोगों जैसे वीर्य का पतलापन, स्वपनदोष, पेशाब के साथ वीर्य का जाना, हस्तमैथुन के कारण आई हुई कमजोरी, शीघ्रपतन एवं नपुंसकता जैसे रोगों में मुख्य औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है । इस औषधि को आयुर्वेद में स्वपनदोष, शीघ्रपतन एवं नपुंसकता की सर्वश्रेष्ठ औषधियों में गिना जाता है ।

वंग भस्म को टिन से बनाया जाता है । इसका रसायनिक नाम इस चैनल होता है । टिन भी दो प्रकार का होता है हिरणखुरी (खुरक) एवं मिश्रक । हिरणखुरी टिन को अच्छा माना जाता है तथा इससे ही बंग भस्म बनाई जाती है । मिश्रक टिन से भस्म नहीं बनाई जाती है तथा इसे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक माना जाता है ।

यदि हम वंग भस्म के गुणधर्म की बात करें तो यह औषधि महिलाओं एवं पुरुषों दोनों के ही मूत्र संस्थान एवं प्रजनन तंत्र से संबंधित रोगों को दूर करने में सक्षम है । यह औषधि महिलाओं की प्रदर रोग से संबंधित समस्याओं को ठीक करती है, गर्भाशय को बल प्रदान करती है एवं बांझपन को दूर करती है ।

पुरुषों के जननांगों पर भी इस औषधि का बहुत अच्छा एवं सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । यह औषधि पुरुष के लिंग संस्थान की नाड़ियों को बल प्रदान करती है जिससे इन नाड़ियों में वीर्य को धारण करने की शक्ति बढ़ जाती है एवं स्वपनदोष व शीघ्रपतन में बहुत अच्छा लाभ मिलता है । यह वीर्य को गाढ़ा करती है एवं वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या को भी बढ़ाती है ।

यदि बहुत अधिक हस्तमैथुन करने के कारण लिंग संस्थान की नाड़ियां कमजोर हो गई हो, वीर्य पतला हो गया हो जिससे व्यक्ति को स्वपनदोष शीघ्रपतन या नपुंसकता की स्थिति आ गई हो, तो ऐसी स्थिति में वंग भस्म को प्रयोग अवश्य कराया जाता है । यह औषधि सप्त धातु को पुष्ट करती है, बल एवं वीर्य की वृद्धि करती है, भूख बढ़ाती है तथा शारीरिक निर्बलता को दूर करती हैं ।

बंग भस्म के ओषधीय गुण एवं कर्म

वंग भस्म के फायदे Vanga (Bang) Bhasma ke fayde

पुरुषों के रोगों में लाभकारी बंग भस्म

बंग भस्म पुरुषों के निम्नलिखित रोगों में अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुई है ।

  • स्वपनदोष
  • शीघ्रपतन
  • वीर्य का पतलापन
  • धातु क्षीणता
  • नपुंसकता
  • सुजाक एवं उपदंश
  • शुक्रमेह

स्त्रियों के रोगों में लाभकारी बंग भस्म

बंग भस्म स्त्रियों के निम्नलिखित रोगों में लाभदायक होती है ।

  • स्त्रियों का प्रदर रोग (लिकोरिया)
  • गर्भाशय की कमजोरी
  • बांझपन
  • मासिक धर्म का अनियमित होना

मूत्र संक्रमण में लाभकारी बंग भस्म

बंग भस्म महिलाओं एवं पुरुषों दोनों के ही मूत्र मार्ग के संक्रमण में लाभकारी होती है, जैसे बार बार पेशाब आना, पेशाब में जलन होना एवं पेशाब के साथ धातु का गिरना इत्यादि । इन सभी रोगों में यह फायदेमंद होती है ।

अन्य रोगों में फायदेमंद बंग भस्म

उपरोक्त के अतिरिक्त बंग भस्म को निम्नलिखित रोगों में सहायक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है ।

  • मोटापा
  • दमा श्वास
  • खून की कमी
  • रक्ताल्पता
  • खांसी
  • खून की खराबी
  • त्वचा दोष

बंग भस्म से होने वाले लाभ Vanga (Bang) Bhasma uses in hindi

बंग भस्म केवल एक आयुर्वेदिक औषधि ही नहीं है, बल्कि यह एक रसायन है, जिसे टॉनिक की भांति आयुर्वेद विशेषज्ञों के द्वारा प्रयोग किया जाता है । निम्न में से कुछ रोगों में इस औषधि को मुख्य औषधि के रूप में तो कुछ रोगों में सहायक औषधि के रूप में प्रयोग कराया जाता है ।

  • यह वीर्य वर्धक, बल कारक, सप्त धातु को पुष्ट करने वाली औषधि है ।
  • यह स्वपनदोष, शीघ्रपतन एवं नामर्दानगी को दूर करती है ।
  • यह वीर्य का पतलापन दूर कर वीर्य को गाढ़ा करती है ।
  • यह पित्त वर्धक है अर्थात इस औषधि का सेवन करने से पित्त की वृद्धि होती है ।
  • यह कफ रोगों को नष्ट करने वाली औषधि है ।
  • इस औषधि का सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं ।
  • यह शरीर में आई हुई कमजोरी एवं खून की कमी को दूर करती है, जिस कारण यह पीलिया में फायदा पहुंचाती है ।
  • यह आंखों की रोशनी (नेत्र ज्योति) बढ़ाने में सहायक होती है ।
  • यह भोजन में रूचि बढ़ाती है एवं पाचन तंत्र की समस्याओं में भी फायदा करती है ।
  • मुख्य रूप से इस औषधि का प्रभाव प्रजनन अंगों, मूत्र संस्थान एवं फेफड़ों पर पड़ता है ।
  • यह डायबिटीज (शुगर) की बीमारी में लाभ पहुंचाती है ।
  • यह गठिया रोग में भी फायदा पहुंचाती है ।
  • इस औषधि में जीवाणु नाशक एवं रोगाणु नाशक गुण पाए जाते हैं ।
  • यह स्त्रियों के गर्भाशय से संबंधित रोगों जैसे मासिक धर्म की अनियमितता, मासिक धर्म के समय दर्द होना, गर्भाशय की कमजोरी एवं बांझपन में फायदा करती है ।
  • यह रक्त दोष दूर करती है तथा त्वचा रोगों में भी फायदा करती हैं ।

मात्रा एवं सेवन विधि Dosage & Directions

इस औषधि की मात्रा एक रत्ती अर्थात 125 मिलीग्राम से लेकर दो रत्ती अर्थात 250 मिलीग्राम तक होती है । इस औषधि को आप अभ्रक भस्म, शिलाजीत, गिलोय सत या शहद के साथ सेवन कर सकते हैं । अलग-अलग रोगों में इस औषधि को सेवन करने का अनुपात अलग अलग है ।

सावधानियां एवं दुष्प्रभाव Precautions & Side Effects

  • इस औषधि को केवल डॉक्टर की देखरेख एवं सलाह से ही लेना चाहिए ।
  • अधिक मात्रा में इस औषधि को लेने से पेट में जलन हो सकती है एवं पित्त की वृद्धि हो सकती है, जिससे चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी होना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं ।
  • इस औषधि को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए ।
  • इस औषधि का लंबे समय तक सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • गर्भवती महिलाओं को इस औषधि का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए ।

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