संशमनी वटी के गुण उपयोग फायदे घटक और नुकसान Sanshamani Vati ke fayde or nuksan

संशमनी वटी क्या है? Sanshamani Vati kya hai?

संशमनी वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका प्रयोग मुख्य रूप से सभी प्रकार के बुखार को दूर करने में किया जाता है । इस औषधि का सेवन करने से साधारण बुखार, विषम ज्वर (टाइफाइड), पित्त की अधिकता के कारण होने वाली समस्याएं जैसे बहुत अधिक प्यास लगना, शरीर में या  हाथो पैरों में जलन होना आदि में बहुत अच्छा लाभ मिलता है ।

इस औषधि का प्रमुख घटक द्रव्य गिलोय वृक्ष की छाल एवं कुछ भस्मे होती है । इसके अलावा कुछ आयुर्वेदाचार्य के द्वारा संजीवनी वटी को गिलोय घनवटी का प्रयोग करके भी बनाया जाता है । दोनों ही विधियों से बनाई गई संशमनी वटी बहुत अच्छा फायदा पहुंचाती है ।

यह औषधि आपको बाजार में संशमनी वटी के नाम से ही मिल जाएगी । इस औषधि को डाबर, बैद्यनाथ एवं पतंजलि जैसी कंपनी के द्वारा बनाया जाता है ।

संशमनी वटी के घटक द्रव्य Sanshamani Vati ke ghatak dravy

  • गिलोय घन वटी 10 तोले (या गिलोय की छाल अलग मात्रा में)
  •  लोह भस्म 1 तोला 
  • अभ्रक भस्म 1 तोला
  • सुवर्णमक्षिक भस्म 6 माशे

संशमनी वटी के फायदे Sanshamani Vati ke fayde in hindi

संशमनी वटी को निम्न लिखित रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है ।

ज्वरनाशक संशमनी वटी Sanshamani Vati ke fayde bukhar me

संशमनी वटी का मुख्य प्रयोग सभी प्रकार के बुखार जैसे सामान्य बुखार एवं टाइफाइड बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है । यदि बुखार बहुत अधिक पुराना हो गया हो या दमा श्वास एवं फेफड़ों के संक्रमण के कारण बुखार हो गया हो, रोगी को बार-बार बुखार चढ़ता हो एवं उतर जाता हो, तो ऐसी स्थिति में sanshamani vati का सेवन कराने से बहुत अच्छा लाभ देखने को मिलता है ।

पित्त दोष नाशक संशमनी वटी Sanshamani Vati ke fayde pitta dosha me

यदि शरीर में पित्त की अधिकता हो जाए तो इससे रोगी को इस प्रकार के लक्षण हो जाते हैं,  जैसे रोगी को बहुत अधिक प्यास लगती है, पसीना बहुत अधिक आता है, शरीर में या हाथो पैरों में जलन होती है, आंखों में जलन होती है, हर समय शरीर में हल्का हल्का बुखार महसूस होता है, इस स्थिति में sanshmani वटी को ठंडे पानी, खस के अर्क या गन्ने के रस के साथ सेवन कराने से बहुत अच्छा लाभ देखने को मिलता है ।

लिकोरिया में लाभकारी संशमनी वटी Sanshamani Vati ke fayde likoria me

संशमनी वटी केवल बुखार में ही फायदा नहीं पहुंचाती है, बल्कि यह औषधि महिलाओं के श्वेत प्रदर अर्थात लिकोरिया में भी बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध होती है । इस रोग में संजीवनी वटी को की दो-दो गोली सुबह शाम ताजा पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है ।

शारीरिक कमजोरी दूर करने में सहायक संशमनी वटी Sanshamani Vati ke fayde kamjori me

संशमनी वटी का प्रमुख घटक द्रव्य गिलोय होता है, जो एंटीबायोटिक गुणों से युक्त होता है । इस औषधि का सेवन करने से शरीर में मौजूद बैक्टीरिया नष्ट होते हैं, खून साफ होता है एवं पाचन तंत्र भी सही रहता है । जिससे व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त ऊर्जा बनी रहती है एवं शारीरिक कमजोरी और थकान दूर होती हैं ।

पीलिया में लाभकारी संशमनी वटी Sanshamani Vati ke fayde piliya me

Sanshamani vati में लोह भसम, अभ्रक भस्म एवं स्वर्ण माक्षिक भस्म मौजूद होती है । यह सभी भस्म रक्तवर्धक होती हैं एवं हिमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है । इसलिए संशमनी वटी का सेवन करने से पीलिया जैसी घातक बीमारी में बहुत अच्छा लाभ देखने को मिलता है ।

मात्रा एवं सेवन विधि

संशमनी वटी की दो-दो गोली सुबह शाम ताजे पानी के साथ भोजन के पश्चात ले सकते हैं । बच्चों को आधी मात्रा में दवाई दी जा सकती है । अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं ।

सावधानी एवं दुष्प्रभाव

निर्धारित मात्रा में सेवन करने पर इस औषधि का कोई दुष्परिणाम नहीं होता है ।

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