कांस्य भस्म क्या है? Kansya Bhasma kya hai?
कांस्य भस्म जिसे कांसा भस्म भी कहा जाता है एक आयुर्वेदिक औषधि है तथा आयुर्वेद में इसे अनेकों रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है । कांसा मूल रूप से एक मिश्र धातु है जो तांबे एवं टिन से मिलकर बनी होती है ।
कांस्य में लगभग 78% तांबा तथा 22% टिन होता है । यही कारण है की कांस्य में ताम्र भस्म एवं वंग भस्म दोनों के ही गुण आ जाते हैं । यह भस्म मुख्य रूप से पेट एवं आंतों के कीड़ों को नष्ट करने में, त्वचा रोगों में एवं नेत्र रोगों में प्रयोग की जाती है ।
ताम्र युक्त होने के कारण यह लाल रक्त कणिकाओं में वृद्धि करती है तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करती है । यह यकृत से निकलने वाले पित्त को उत्तेजित करती है ।
टिन युक्त होने के कारण यह गुर्दों को बल प्रदान करती है, त्वचा रोगों में फायदा करती है, बालों के रोगों में फायदा करती हैं, अनिद्रा दूर करती है एवं कैंसर जैसे रोगों में भी फायदा करती है ।
कांस्य भस्म के चिकित्सकीय गुण
कांस्य भस्म निम्न रोगों में प्रयोग की जाती है
- परजीवी संक्रमण से होने वाले रोगों में
- त्वचा रोगों में
- पेट एवं आंतों के कीड़ों को नष्ट करने में
- कफ दोष में
- नेत्र रोगों में
- शरीर के अंदर फोड़ा होने में
- कुष्ठ रोग में
- रक्त विकार में
कांस्य भस्म के फायदे Kansya Bhasma ke fayde
आंतरिक फोड़ा सही करने में लाभकारी कांस्य भस्म
यह भस्म शरीर के अंदर होने वाले फोड़े को सही करने के लिए प्रयोग की जाती है । यदि शरीर के आंतरिक अंगों में किसी भी प्रकार का फोड़ा या ट्यूमर हो गया हो जिस में मवाद या पस बन गया हो तो उस स्थिति में कांचा भसम का सेवन करने से फोड़े के कारण होने वाला संक्रमण रुक जाता है ।
इस भस्म में रोगाणु नाशक, जीवाणु नाशक एवं कोशिकाओं में पैदा होने वाले जंतुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है । यह औषधि आंतरिक फोड़ों में एंटीबायोटिक के रूप में कार्य करती है ।
आंत्र परजीवी नष्ट करने में लाभकारी कांस्य भस्म
इस दवा का सेवन करने से पेट एवं आंतों में होने वाले कृमि नष्ट हो जाते हैं । कांस्य भस्म में टिन होता है जोकि कृमि नाशक के रूप में कार्य करता है । इसके अतिरिक्त तांबा शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है ।
इसलिए इस औषधि का सेवन करने से पेट में होने वाले परजीवी को नष्ट करने में मदद मिलती है । परजीवी संक्रमण को दूर करने के लिए इस औषधि को अजवाइन एवं वायविडंग चूर्ण के साथ सेवन कराने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है ।
आंखों के रोगों में लाभकारी कांस्य भसम
यह भस्म आंखों के रोगों में फायदा पहुंचाती है तथा नेत्र ज्योति को बढ़ाती है । जैसा कि हमने आपको बताया कांस्य भसम में तांबा होता है जो आंखों से संबंधित रोगों में लाभ पहुंचाता है । आयु के साथ-साथ आंखें कमजोर हो जाती है ऐसी स्थिति में कांस्य भस्म को सेवन कराने से लाभ मिलता है ।
मात्रा एवं सेवन विधि Dosage & Directions
कांस्य भस्म की खुराक तालिका | |
शिशु | अनुशंसित नहीं |
बच्चे | 30 से 60 मिलीग्राम * |
वयस्क | 60 से 250 मिलीग्राम * |
गर्भावस्था | अनुशंसित नहीं |
वृद्धावस्था | 60 से 125 मिलीग्राम * |
अधिकतम संभावित खुराक (प्रति दिन या 24 घंटों में) | 500 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में) |
* शहद या गुलकंद (Gulkand) के साथ एक दिन में दो बार |
सावधानियां एवं दुष्प्रभाव Precautions & Side Effects
कांस्य भस्म को अधिक मात्रा में बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे निम्न परेशानियां हो सकती हैं ।
- गुदा से संबंधित रोग
- मतली आना
- चक्कर आना इत्यादि
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