कामधेनु रस क्या है? Kamdhenu Ras kya hai?
कामधेनु रस एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से शुक्रमेह रोग में प्रयोग की जाती है । इस औषधि का सेवन करने से पुरुषों के बल एवं वीर्य में वृद्धि होती है, प्रमेह एवं धातु क्षीणता जैसी समस्याएं दूर होती हैं ।
हमारे शरीर में सात प्रकार की धातुएं होती हैं: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मजजा एवं शुक्र, इन्हें सप्त धातु कहा जाता है । कामधेनू रस ऐसी औषधि है जो हमारे शरीर की इन सब धातुओं को पुष्ट करती है ।
इस औषधि का सेवन करने से पांडु रोग (पीलिया), विषम ज्वर (मलेरिया), रक्तपित्त, अम्लपित्त, सन्निपात, उदर में कृमि होना, अर्श (बवासीर), ग्रहणी जैसे रोगों में बहुत अच्छा लाभ मिलता है । तो आइए विस्तार से जानते हैं कामधेनू रस के बारे में ।
कामधेनू रस के घटक द्रव्य Kamdhenu Ras ke ghatak dravy
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
- शुद्ध बच्छनाग
- सोंठ
- कालीमिर्च
- पीपल
- लोह भस्म
- अभ्रक भस्म
- त्रिफला क्वाथ (Q.S.)
कामधेनू रस को बनाने की विधि Kamdhenu Ras kaise banaye
कामधेनू रस को बनाने के लिए क्रम संख्या 1 से लेकर 8 तक की सभी औषधियों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर अच्छी तरह मिला लें ।
शुद्ध पारद एवं शुद्ध गंधक की पहले कज्जली बना लेनी चाहिए, उसके पश्चात ही शेष सभी जड़ी बूटियों को कूट पीसकर एवं छान कर कज्जली में मिलाना चाहिए ।
इसके पश्चात त्रिफला काढ़ा में 1 दिन तक खरल कर ले तथा एक एक रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें । इसे ही कामधेनू रस कहा जाता है ।
कामधेनू रस के फायदे Kamdhenu Ras ke fayde in hindi
कामधेनू रस अनेक रोगों में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक औषधि है । अलग-अलग रोगों में कामधेनू रस को अलग-अलग अनुपान में सेवन कराया जाता है । इसलिए इस औषधि को अनुभवी वैद्य की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए ।
सेक्स कमजोरी में लाभदायक कामधेनू रस
कामधेनू रस काम शक्ति वर्धक रसायन है।। यह औषधि वीर्य की वृद्धि करती है, वीर्य गाढ़ा करती है एवं शीघ्रपतन जैसी समस्याओं में भी लाभ पहुंचाती है । यह एक वाजीकरण रसायन है । सेक्स कमजोरी में इस औषधि को एक से दो रत्ती सुबह एवं शाम को शहद से चाट कर दूध के साथ ले सकते हैं । सहायक औषधियों के रूप में मूसली पाक चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण आदि का सेवन किया जा सकता है ।
अम्ल पित्त नाशक कामधेनू रस
कामधेनु रस अम्लपित्त (एसिडिटी) को दूर करने के लिए सफलतापूर्वक प्रयोग की जाती है । इस रोग में कामधेनू रस को एक से दो रत्ती शीतल जल या शहद के साथ देने से लाभ मिल जाता है । इस रोग में सहायक औषधियों के रूप में सूतशेखर रस, कामदुधा रस एवं प्रवाल पंचामृत आदि औषधियों का सेवन किया जा सकता है ।
मधुमेह रोग में लाभकारी कामधेनू रस
कामधेनू रस को मधुमेह अर्थात डायबिटीज में सेवन कराया जाता है । इस रोग में इस औषधि की एक से दो रत्ती सुबह शाम रोगी को दी जाती है । सहायक औषधियों के रूप में वसंत कुसुमाकर रस एवं चंद्रप्रभा वटी का सेवन भी कराया जाता है ।
श्वेत प्रदर (लिकोरिया) में लाभकारी कामधेनू रस
कामधेनू रस केवल पुरुषों के रोग में ही प्रयोग नहीं की जाती, बल्कि इस औषधि को स्त्रियों के श्वेत प्रदर रोग (लिकोरिया) में भी सफलतापूर्वक प्रयोग कराया जाता है । इस रोग में कामधेनू रस को महिला को केले के साथ सेवन कराया जाता है तथा ऊपर से दूध पिलाया जाता है ।
जीर्ण ज्वर में लाभकारी कामधेनू रस
यदि बुखार 3 सप्ताह अर्थात 21 दिनों तक ना उतरे तो ऐसे बुखार को जीर्ण ज्वर कहा जाता है । जीर्ण ज्वर ज्यादातर दमा श्वास वाले रोगियों को हो जाता है । ऐसी स्थिति में कामधेनू रस की एक से दो रत्ती सुबह शाम रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है । सहायक औषधियों के रूप में चवनप्राश, सितोपलादि चूर्ण, स्वर्ण बसंत मालती रस एवं द्राक्षारिष्ट का सेवन कराया जा सकता है ।
अन्य रोगों में लाभकारी कामधेनू रस
बुखार के कारण कमजोरी आ जाने पर रोगी के शरीर में खून की कमी हो जाती है तथा रक्त में रक्त कणिकाओं की संख्या भी कम हो जाती है, ऐसी स्थिति में यह औषधि लाभ पहुंचाती हैं । यह औषधि यकृत एवं प्लीहा से जुड़े हुए रोगों में फायदा पहुंचाती हैं । इस औषधि का सेवन करने से पुराना विषम ज्वर अर्थात मलेरिया भी ठीक हो जाता है ।
यह औषधि रक्तपित्त एवं खूनी बवासीर दोनों में ही लाभ पहुंचाती हैं ।
यह औषधि रक्तपित्त एवं खूनी बवासीर दोनों में ही लाभ पहुंचाती हैं ।
मात्रा एवं सेवन विधि
इस औषधि की एक से दो रत्ती सुबह शाम ली जा सकती है । (एक रत्ती = 125 मिलीग्राम)
अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं ।
अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं ।
सावधानियां एवं दुष्प्रभाव
इस औषधि को किसी अनुभवी डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए । इस औषधि को स्वयं के अनुभव के आधार पर नहीं लेना चाहिए । इस औषधि में वत्सनाभ जैसी विषैली जड़ी बूटी मौजूद होती है, इसलिए इस औषधि को अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए ।