गिलोय सत्व (सत) क्या है? Giloy Satva kya hai?
गिलोय सत्व गिलोय से बनी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग की जाती है । यदि हम गिलोय के बात करें तो गिलोय एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें अनेकों दिव्य गुण मौजूद होते हैं ।
यह जड़ी बूटी स्वाद में कड़वी, कसैली तथा तीखी होती है तथा इस जड़ी बूटी में तीनों के दोषों को दूर करने के गुण मौजूद होते हैं । यह मुख्य रूप से जिगर अर्थात लीवर के रोगों को दूर करती है एवं हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मददगार होती हैं ।
इस जड़ी बूटी का सेवन करने से किसी भी प्रकार के बुखार में लाभ मिलता है तथा यह रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ा देती है ।
गिलोय सत्व बनाने की विधि Giloy Satva kaise banaye
गिलोय सत्व गिलोय का निचोड़ होता है । गिलोय से गिलोय सत्व को बनाने की विधि ज्यादा कठिन नहीं है तथा आप इसे घर पर भी बड़ी आसानी से बना सकते हैं । गिलोय सत्व बनाने की विधि इस प्रकार है ।
सबसे पहले आप गिलोय की जड़ों एवं गिलोय के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए तथा इसके पश्चात इन्हें कूटने के पश्चात किसी बड़े से पात्र में रखकर पानी में भिगो दीजिये । पानी की मात्रा केवल इतनी हो की गिलोय अच्छी तरह डूब जाए, बहुत ज्यादा पानी लेने की आवश्यकता नहीं है ।
अगले दिन सुबह इन टुकड़ों को खूब अच्छी तरह मसले ताकि इन टुकड़ों में जितना भी स्टार्च है वह सब पानी में आ जाए । इसके पश्चात इस पानी को कपड़े की सहायता से छान लेते हैं तथा पानी को एकत्रित कर लेते हैं ।
गिलोय के तने एवं जड़ों का शेष पदार्थ फेक दिया जाता है क्योंकि यह हमारे किसी काम का नहीं होता है । पानी को कुछ घंटों के लिए पात्र में ही रहने दिया जाता है ताकि इस पानी में जितना भी स्टार्ट है वह नीचे बैठ जाए ।
कुछ घंटों के पश्चात सावधानीपूर्वक इस टॉर्च को इकट्ठा कर लिया जाता है तथा धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है ताकि इसमें से नमी दूर हो जाए । यदि इसकी गांठे बन जाए तो इसे पीसकर इसका पाउडर बना लिया जाता है ।इसे ही गिलोय सत्व कहा जाता है । गिलोय सत्व को गुडुची सत्व या अमृता सत्व भी कहा जाता है ।
गिलोय सत्व के फायदे Giloy Satva ke fayde in hindi
- गिलोय सत्व मात्र औषधी नहीं है बल्कि यह एक रसायन है जो हमें अनेकों रोगों से बचाता है ।
- गिलोय सत्व का सेवन करने से हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्यूनिटी पावर) बहुत ज्यादा मजबूत हो जाती है ।
- यह शरीर से विषैले पदार्थों को दूर करने में मददगार होता है ।
- गिलोय सत्व किसी भी प्रकार के बुखार जैसे मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू, विषम ज्वर, जीर्ण ज्वर और एवं शीत ज्वर इत्यादि में लाभदायक होता है ।
- गिलोय सत्व भोजन के पाचन को सही करता है ।
- यह लीवर अर्थात जिगर को बल प्रदान करता है, जिससे लीवर सुचारू रूप से कार्य करता है ।
- यह शरीर में से आमदोष को दूर करता है ।
- यह त्रिदोष नाशक है अर्थात इसका सेवन करने से वात पित्त एवं कफ तीनों ही दोष नष्ट होते हैं । लेकिन यह वात एवं पित्त को कफ की तुलना में ज्यादा कम करता है ।
- गिलोय सत्व में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं ।
- गिलोय सत्व जोड़ों के दर्द, गठियाबाय जैसे रोगों में भी फायदा पहुंचाता है ।
- एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होने के कारण गिलोय सत्व त्वचा रोगों मे लाभ पहुंचाता है ।
- गिलोय सत्व खून में से विषैले पदार्थों को दूर करता है एवं रक्तदोष से पैदा होने वाले रोगों को दूर करने में मददगार होता है ।
- यह पुरुषों के प्रमेह रोगों को दूर करने में मददगार होता है ।
- यह मूत्र संक्रमण को दूर करने में मदद करता है ।
- गिलोय सत्व मूत्रल होता है अर्थात इसका सेवन करने से मूत्र अधिक आता है, जिस कारण यह गुर्दों के अच्छे स्वास्थ्य के लिय लाभदायक होता है ।
- यह शरीर की गर्मी को दूर करता है तथा बहुत ज्यादा प्यास लगना एवं पसीने आना जैसी समस्या में लाभदायक होता है ।
- यह शरीर में बड़े हुए यूरिक एसिड के इस स्तर को कम करता है ।
- यह शरीर में होने वाली जलन एवं पेशाब की जलन को दूर कर शरीर को ठंडक पहुंचाता है ।
- गिलोय सत्व का सेवन करने से हृदय को बल मिलता है तथा हृदय की अनियमित धड़कन में यह लाभ पहुंचाता है ।
- गिलोय सत्व रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी से होने वाली सर्दी खांसी एवं कफ रोगों में लाभदायक होता है ।
- यह हाई ब्लड प्रेशर एवं लो ब्लड प्रेशर दोनों ही स्थितियों में बहुत अच्छा फायदा दिखाता है ।
- गिलोय सत्व डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक होता है । इसका सेवन करने से रक्त में शर्करा की मात्रा नियंत्रित होती है ।
- यह यकृत लीवर के कारण होने वाले रोगों जैसे रक्ताल्पता एवं पीलिया में लाभदायक होता है ।
- गिलोय सत्व महिलाओं के श्वेत प्रदर जैसे रोग में भी लाभदायक होता है ।
गिलोय की मात्रा एवं सेवन विधि Giloy Satva ki matra or sevan vidhi
व्यस्को को गिलोय सत्व 500 मिलीग्राम से लेकर 2 ग्राम तक विभाजित मात्रा में दी जा सकती है । 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को गिलोय सत्व 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम तक दी जा सकती है ।
रोग एवं अनुपान Rog evam anupan
गिलोय सत्व को अलग-अलग रोगों में अलग-अलग जड़ी बूटियों के साथ देने से ज्यादा लाभ मिलता है । नीचे हमने गिलोय सत्व के रोग एवं अनूपान का वर्णन किया है ।
- अग्नि मानदेय एवं जीर्ण ज्वर में पीपली चूर्ण एवं शहद के साथ
- पुरुषों के प्रमेह एवं धातुरोगों में ताल मखाना, जायफल एवं मिश्री के साथ
- वीर्य को गाढ़ा करने एवं स्वपनदोष में बंग भस्म एवं प्रवाल पिष्टी के साथ
- पेशाब बहुत ज्यादा आने पर देसी घी के साथ
- पेशाब में पस आने पर मिश्री मिले दूध के साथ
- प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए एलोवेरा जूस के साथ
- वात रोगों में घी के साथ
- पित्त रोगों में मिश्री के साथ
- कफ रोगों में शहद के साथ
सावधानियां एवं दुष्प्रभाव Savdhaniya evam dushprabhav
- निर्धारित मात्रा में गिलोय सत्व का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है एवं ना ही इसका कोई दुष्प्रभाव देखा गया है ।
- गर्भावस्था में गिलोय सत्व को बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन नहीं करना चाहिए ।
- यह रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है, इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इस औषधि का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करवाना चाहिए ।
- किसी भी प्रकार की सर्जरी या ऑपरेशन के 2 सप्ताह तक गिलोय सत्व का सेवन नहीं करना चाहिए ।
यह लेख आपको कैसा लगा, अपने विचार हमे कमेन्ट के माध्यम से जरुर बताये ।
This medicine is very useful specially for all diseases of human bodies.